12 रबीउल अव्वल: सरकार ﷺ की आमद मरहबा

 

 

12 रबीउल अव्वल – हुज़ूर ﷺ की पैदाइश का मुबारक दिन

12 रबीउल अव्वल इस्लाम की तारीख़ का सबसे प्यारा और बरकतों से भरा दिन है।
इसी दिन हमारे प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद ﷺ की पैदाइश हुई।
यह दिन सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए रहमत का पैग़ाम है।
12 रबीउल अव्वल हमें बताता है कि अंधेरे से भरी दुनिया में जब नूर की ज़रूरत थी,
तब अल्लाह ने अपने सबसे अज़ीम पैग़म्बर ﷺ को भेजकर पूरी कायनात को रोशन किया।
यह दिन महिलाओं के लिए भी बहुत अहमियत रखता है क्योंकि हुज़ूर ﷺ ने औरतों की इज़्ज़त,
हक़ और बराबरी को ज़िंदगी के हर मोड़ पर ऊँचा मक़ाम दिया।

बचपन की रहमतें

12 रबीउल अव्वल को जब हुज़ूर ﷺ की पैदाइश हुई तो पूरी दुनिया नूर से भर गई।
आप अनाथ पैदा हुए लेकिन आपकी वालिदा आमिना और दाई हलीमा सादिया ने मोहब्बत से पाला।
बचपन में ही आपकी शख्सियत इतनी पवित्र थी कि लोग आपके पास आते और सुकून पाते।
हलीमा सादिया के घर में जिस तरह बरकतें आईं, वह इस बात का सबूत था कि
12 रबीउल अव्वल का दिन अल्लाह की रहमत का दिन है।
महिलाओं के लिए यह पैग़ाम है कि एक बच्चे की परवरिश औरत की दुआओं और मेहनत से मुकम्मल होती है।
हुज़ूर ﷺ बचपन से ही अमानतदारी और सचाई की मिसाल बने और हर कोई आपको अल-अमीन कहकर पुकारने लगा।

जवानी की करामात

जवानी तक आते-आते, 12 रबीउल अव्वल के नूर से उनकी ज़िंदगी और भी रोशन हुई।
लोग उन्हें “अल-अमीन” और “अस-सादिक़” कहकर पुकारने लगे।
व्यापार में आपकी सच्चाई और ईमानदारी ने लोगों के दिल जीत लिए।
हज़रत ख़दीजा (रज़ि.) जैसी अज़ीम महिला ने आपमें सच्चाई और ईमानदारी देखकर निकाह का पैग़ाम दिया।
यह साबित करता है कि इस्लाम की बुनियाद औरत और मर्द दोनों की इज़्ज़त और मोहब्बत पर है।
आपकी जवानी की करामात ने लोगों को दिखा दिया कि
12 रबीउल अव्वल सिर्फ एक तारीख़ नहीं बल्कि रहमत का आगाज़ है।
आप हमेशा सच और इंसाफ़ के साथ खड़े रहे और दूसरों के लिए एक उदाहरण बने।

इंसानियत के लिए रहमत

12 रबीउल अव्वल हमें याद दिलाता है कि हुज़ूर ﷺ ने सिर्फ़ मर्दों के लिए नहीं,
बल्कि औरतों के लिए भी बराबरी और इनसाफ़ का हक़ दिया।
उन्होंने बेटियों को रहमत बताया, औरतों की तालीम पर ज़ोर दिया और समाज में उनके मुक़ाम को ऊँचा उठाया।
आपने गुलामी के बंधनों को तोड़ा, इंसाफ़ की मिसाल कायम की और मोहब्बत का पैग़ाम दिया।
आपकी ज़िंदगी हमें सिखाती है कि अमन और भाईचारा ही असल तालीम है।
12 रबीउल अव्वल का दिन औरतों और मर्दों दोनों के लिए यह याद दिलाता है
कि इंसाफ़ और बराबरी ही इंसानियत की सबसे बड़ी पहचान है।
आपने सिखाया कि इंसान की इज़्ज़त उसके कर्मों से है, न कि उसकी जात, लिंग या माल-दौलत से।

संदेश और सीख

12 रबीउल अव्वल हमें यह सिखाता है कि हुज़ूर ﷺ की ज़िंदगी को अपनाकर ही
हम कामयाबी और सुकून हासिल कर सकते हैं।
उनकी हर बात में मोहब्बत, रहमत और इंसाफ़ झलकता है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि इस्लाम की तालीमात और हुज़ूर ﷺ का पैग़ाम सिर्फ इबादत तक सीमित नहीं,
बल्कि इंसानियत की भलाई और अमन के लिए भी है।
आज जब समाज में नफरत और तफरक़ा बढ़ रहा है,
12 रबीउल अव्वल हमें मोहब्बत और भाईचारे की तरफ़ बुलाता है।
यह दिन हमें बताता है कि पैग़म्बर ﷺ का असल पैग़ाम हमेशा के लिए ज़िंदा है और हमें उसी पर चलना चाहिए।

नतीजा

12 रबीउल अव्वल का दिन हमें बताता है कि हुज़ूर ﷺ की ज़िंदगी का हर लम्हा
इंसानियत, मोहब्बत और बराबरी का पैग़ाम है।
बचपन से जवानी तक उनका सफ़र औरतों और मर्दों दोनों के लिए रहमत की निशानी है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि इस्लाम की असल पहचान अमन, मोहब्बत और इंसाफ़ है।
12 रबीउल अव्वल हर साल हमें यह एहसास कराता है कि सरकार ﷺ की आमद मरहबा,
पूरी कायनात के लिए रहमत और नूर का पैग़ाम है।
यही वजह है कि पूरी उम्मत इस दिन को मोहब्बत, सजदा और शुक्राने के साथ मनाती है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top