बदलाव की किरण 4.0

बदलाव की किरण 4.0 ग्राम सबादा में सरकारी धन का दुरुपयोग

पूछता है  सबादा ?

प्रस्तावना

हर गाँव का सपना होता है कि वहाँ के बच्चे पढ़ें, बुज़ुर्ग सुरक्षित रहें और हर घर में रोज़गार का अवसर हो। ग्राम Sabada भी इन्हीं सपनों के साथ आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन सत्ता के केंद्रीकरण और भ्रष्टाचार ने उस रोशनी को धूमिल कर दिया। पिछले पंद्रह वर्षों से एक ही परिवार के नियंत्रण में रही पंचायत ने विकास योजनाओं को निजी लाभ का जरिया बना दिया। नतीजतन जनता का भरोसा टूटता गया और गाँव के संसाधन कुछ लोगों के हाथों में सिमट गए। बदलाव की किरण 4.0 इस सच्चाई को उजागर करने की कोशिश है ताकि हर ग्रामीण अपनी आवाज़ बुलंद कर सके और पारदर्शिता की मांग कर सके।

बदलाव की किरण spreading positivity and hope in society

सरकारी आँकड़े और वित्तीय स्थिति

ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, 2016 से 2026 तक ग्राम सबादा को कुल ₹8,96,47,000 की राशि विभिन्न विकास कार्यों के लिए दी गई। यह राशि सड़क, नाली, पेयजल, आवास, शिक्षा, शौचालय, पंचायत भवन और मनरेगा कार्यों के लिए थी। लेकिन इन कार्यों का धरातल पर प्रभाव सीमित ही दिखाई देता है।

वर्ष स्वीकृत कार्य आवंटित राशि (₹)
2016–17 29 92,70,000
2017–18 50 49,24,000
2018–19 46 49,47,005
2019–20 54 1,16,87,000
2020–21 83 64,95,641
2021–22 38 1,53,57,399
2022–23 50 1,48,50,244
2023–24 91 60,22,711
2024–25 99 1,04,93,728
2025–26 (चालू) 55 56,00,220

बदलाव की किरण 4.0 वास्तविक स्थिति और अनियमितताएँ

ग्राम Sabada की जमीनी हकीकत सरकारी दावों से मेल नहीं खाती। कई स्थानों पर आर सी सी  रोड तो बने लेकिन मानक विहीन बने 2 से 3 सालों खराब हो गई, नालियां जगह-जगह टूटी हुई हैं, जिससे जलभराव आम समस्या बन चुकी है।  हैंडपंप रिबोर , मरम्मत , मजदूरी के नाम  पर लाखों रुपए आए लेकिन समस्या जस के तस है

कहां गए लाखों रुपए?

कोरोना काल (2020–21)

कोरोना काल में सरकार ने विशेष राहत पैकेज जारी किया था। ग्राम Sabada को ₹64,95,641 मिले, लेकिन यह राहत गाँव तक नहीं पहुँची। ना ही नियमित सेनेटाइजेशन हुआ, ना ही गरीबों तक राहत सामग्री पहुँची। कई परिवारों ने अपनी जेब से दवा, मास्क और भोजन की व्यवस्था की। ग्रामवासियों ने बताया कि सरकार ने पैसा दिया, पर राहत कभी नहीं आई।

बदलाव की किरण 4.0 वित्तीय वर्ष 2021–23

इन वर्षों में पंचायत को तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली, लेकिन परिणाम नगण्य रहे। मनरेगा के अंतर्गत दिखाए गए कार्य केवल रिकॉर्ड तक सीमित है गाँव की गलियों में अंधेरा छाया हुआ है क्योंकि सोलर लाइटें लगाई तो गईं, पर कभी जलती नहीं देखी गईं।

जनता की आवाज़ और मंसूर खान

जब पूरी व्यवस्था सुस्त और भ्रष्ट हो गई, तब ग्राम Sabada के युवा समाजसेवी मंसूर खान ने मोर्चा संभाला। उन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के अपने संसाधनों से गाँव में सफाई अभियान, जल निकासी और पर्यावरण जागरूकता की पहल शुरू की। वे रोज़ सुबह से गाँव की गलियों में सफाई करते हैं, बच्चों को स्वच्छता का महत्व सिखाते हैं, और लोगों को यह समझाते हैं कि बदलाव केवल सरकार से नहीं, जनता की नीयत से आता है।

मंसूर खान जैसे लोग ग्राम सबादा की असली ताकत हैं। उनके प्रयासों ने दिखाया है कि यदि जनता संगठित हो जाए, तो भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर पड़ने लगती हैं।

बदलाव की किरण bringing light of unity and growth Mansoor Khan Badlav ki kiran

सवाल उठाने वालों पर दबाव और डर का माहौल

दुर्भाग्य से, ग्राम सबादा में सच बोलना आसान नहीं है। जो भी पंचायत की गड़बड़ियों पर सवाल उठाता है, उसे मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से गाली-गलौज और धमकियाँ दी जाती हैं। कुछ लोगों को “गाँव छोड़ने” तक की चेतावनी दी गई। यह सिर्फ व्यक्ति पर नहीं, लोकतंत्र पर हमला है।

लेखन और स्थानीय जागरूक नागरिकों को “विरोधी” कहकर बदनाम किया गया। डराने-धमकाने की यह संस्कृति गाँव की सामाजिक एकता को तोड़ती है। लेकिन सच्चाई यह है कि हर ग्रामवासी का अधिकार है कि वह अपने गाँव के विकास पर सवाल करे  क्योंकि पैसा जनता का है, जवाबदेही भी जनता से होनी चाहिए।

पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही का अभाव

बदलाव की किरण 4.0 ग्राम सबादा में न तो ग्राम सभा की बैठकें नियमित रूप से होती हैं, न ही खर्चों की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है। ग्रामवासी यह नहीं जानते कि उनके नाम से कौन सा काम स्वीकृत हुआ और कितनी राशि खर्च हुई। कई बार योजनाओं के नाम पर एक ही कार्य दोबारा दिखाया गया है। यह पारदर्शिता की सबसे बड़ी विफलता है।

जनता की भूमिका और जिम्मेदारी

अब समय है कि ग्राम सबादा की जनता खुद आगे आए। हर ग्रामवासी को ई-ग्राम स्वराज पोर्टल देखना चाहिए, जहाँ सारे विकास कार्य और बजट उपलब्ध हैं। पंचायत से यह पूछना जरूरी है कि

काम कहाँ हुआ ?

कौन ज़िम्मेदार है ?

और

कौन-से बिल जारी हुए ?

जब जनता सवाल पूछती है, तभी लोकतंत्र जीवित रहता है।

युवा वर्ग को चाहिए कि वह सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर सही जानकारी साझा करे। हर गाँव के लोगों को मिलकर निगरानी समिति बनानी चाहिए ताकि कोई भी पैसा बेकार न जाए। यही बदलाव की असली किरण है।

निष्कर्ष और समाधान

बदलाव की किरण 4.0 यह संदेश देती है कि अब चुप्पी तोड़ने का समय है। ग्राम सबादा को फिर से ईमानदारी और पारदर्शिता के रास्ते पर लाना होगा। जनता को चाहिए कि वह पंचायत से कार्यों की फोटोज़, बिल, खर्च और प्रमाण पत्र सार्वजनिक कराने की माँग करे। यह सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं‌ , यह आवाज़ है उस जनजागरण की, जो गाँव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएगी।

जब तक जनता अपने हक़ की रक्षा के लिए संगठित नहीं होगी, तब तक कोई बदलाव संभव नहीं। लेकिन उम्मीद की किरण यह है कि अब ग्राम सबादा जाग चुका है। लोग जान चुके हैं कि उनका पैसा कहाँ जा रहा है, और अब वे सवाल पूछना नहीं छोड़ेंगे।

निरंतर जारी रहेगा — जल्द ही “बदलाव की किरण 5.0” प्रकाशित होगा। यह जनहित में जारी रिपोर्ट है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और सच्चाई को जनता के बीच लाना है।

स्रोत – www.upkiawaz.com

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2 thoughts on “बदलाव की किरण 4.0”

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