बदलाव की किरण 6.0

बदलाव की किरण 6.0 ग्राम सबादा में भ्रष्टाचार की गहराई

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बदलाव की किरण 6.0 के इस संस्करण में हम ग्राम  सबादा (जिला बांदा) में बीते कई वर्षों के विकास कार्यों का विश्लेषण कर रहे हैं, जिनमें जघन्य भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ देखने को मिल रही है। करोड़ों रुपये का बजट जारी हुआ, लेकिन गांव के हालात आज भी ज्यौ,का‌ त्यौ हैं  टूटी सड़कें, अधूरी योजनाएँ और  बजबजती नाली मुंहबोलता सबूत है।

 बदलाव की किरण 6.0 में उजागर   पानी की टंकी का भ्रष्टाचार

वर्ष 2015 में ग्राम सभा सबादा में पेयजल के लिए पानी की टंकी स्वीकृत हुई। लेकिन भ्रष्ट लोगो व निजी लाभ के चलते पानी की टंकी  लो ज़ोन (निचले क्षेत्र) में बनाई गई, जबकि गांव का अधिकांश हिस्सा हाई ज़ोन( ऊपरी क्षेत्र) में स्थित है। पानी की टंकी से उन्हीं लोगों को फायदा हो रहा है जिनकी नियत पहले से ही खराब थी

परिणाम   ऊंचाई वाले घरों में पानी बिल्कुल नहीं पहुंचता।

समाजसेवी तनवीर खान ने पिछले कई वर्षों से लगातार  इस मुद्दे को बांदा जिला प्रशासन से लेकर झांसी मंडल तक उठाया। उन्होंने कहा

बदलाव की किरण 6.0: ग्रामीण गाँव के बाहर का दृश्य, जहाँ एक अकेली ऊँची पानी की टंकी खड़ी है, जिसके मजबूत खम्भे हैं और ऊपर पानी की टंकी बनी हुई है। टंकी अंदर से सूखी और खाली दिख रही है, जिस से लापरवाही और परित्याग का अहसास होता है। आसपास का माहौल उजाड़ और बंजर है: टूटी-फूटी सड़कें, सूखे खेत, बिखरे हुए कचरे, और जर्जर घर। गाँव के लोग एक तरफ इकट्ठा होकर गुस्से में अपनी शिकायत कर रहे हैं। गाँव के प्रधान थोड़े मोटे शरीर वाले, चश्मा पहने और पारंपरिक प्रधान पोशाक में, भागते हुए दिख रहे हैं। उजली दिन की रोशनी, धूल भरा वातावरण, यथार्थवादी और थोड़ा नाटकीय मूड। सभी विवरण शामिल करें: टंकी का क्रैक दिखना, टूटे हुए रास्ते, बिखरा कचरा, नाराज लोग, और प्रमुख रूप से पृष्ठभूमि में खड़ी टंकी।

हमने हर स्तर पर आवाज उठाई, लेकिन प्रधान की दबंगई और भ्रष्टाचार ने विकास की राह रोक दी। अगर टंकी हाई जोन में लगती, तो आज पूरा गांव पानी से सैराब होता।

वर्तमान में ग्राम प्रधान द्वारा ग्रामवासियों  से 50 रुपए प्रति माह पानी शुल्क लिया जा रहा है। बहाना यह दिया जाता है कि यह कर्मचारियों की पगार के लिए है, जबकि हर वर्ष पेयजल योजना (Drinking Water Scheme) में लाखों रुपये का सरकारी फंड आता है। यह सीधा भ्रष्टाचार का उदाहरण  है और बदलाव की किरण 6.0 इस सच्चाई को सामने ला रही है।

 बदलाव की किरण 6.0 के अनुसार आर सी सी रोड़ो, आवास योजना का गड़बड़झाला

गांव में बनी आर सी सी सड़कें दो-तीन साल में ही उखड़ जाती हैं। विकास कार्यों में घटिया सामग्री का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है। प्रधान महोदय का रसूख बहुत ऊपर तक है इसलिए किसी भी घोटाले का कोई भी व्यक्ति पर्दाफाश नहीं कर सकता कितने घोटालों की बात करे

प्रधान मंत्री आवास योजना में प्रधान महोदय ने अपने चंगु मंगुओ को दो-दो आवास दिए, जबकि  इसके पात्र परिवार  वह आज भी बिना छत के जीवन बीता रहे है

ग्राम प्रधान महोदय ने अपने चंगु मंगुओ को सरकारी नियमों को डाटा बताते हुए आवास आवंटित किए और इन चंगु मंगुओ ने  सरकारी आवास दूसरे को बेचा और रुपए वसूल किए जिसके कई साक्ष्य मौजूद है

गांव के एक गरीब ग्रामीण यादव जी का मकान पिछले 15 सालों से टूटा-फूटा कच्चा है।
उन्होंने कई बार आवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

उल्टा, आवास दिलाने के नाम पर उनसे ₹10,000 से ₹15,000 तक की रिश्वत मांगी जाती है
ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जो बताते हैं कि  बदलाव की किरण 6.0  में उठाया गया यह मुद्दा सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि गरीबों की पीड़ा का दस्तावेज़ है।

 बदलाव की किरण 6.0 रिपोर्ट शौचालय और हैंडपंप घोटाला

सूत्रों के अनुसार, पिछले दस वर्षों में सैकड़ों शौचालय स्वीकृत हुए थे, लेकिन वास्तविकता में इनमें से  इतने दिखाई नहीं देते
सरकारी कागज़ों में हैंडपंपों की संख्या सैकड़ों में है,  रिबोर, मरम्मत, मजदूरी के नाम पर लाखों रुपए का बंदर बाट किया जाता है

ग्राम सबादा में हैंडपंप मिस्त्री कामता प्रसाद जी है

जिनको सरकारी रुपए मिलते है मजदूरी, मरम्मत के

लेकिनमिस्त्री साहब  हैंडपंप मरम्मत की मजदूरी के नाम पर जिस मोहल्ले में हैंडपंप बनाते है उनसे भी हजारों रुपए वसूलते है  जबकि सरकारी वेबसाइट से मालूम हुआ कि मजदूरी का लाखों रुपए मिस्त्री साहब के खाते में आए हुए है जिसके साक्ष्य, प्रमाण मौजूद है

ऐसे दर्जनों उदाहरण है जो जांच का विषय है

हर साल हैंडपंप सामग्री, मरम्मत, मजदूरी का लाखों रुपये का बजट आता है, मगर ग्राम प्रधान  महोदय  द्वारा कागजों में खर्च दिखाकर फंड का दुरुपयोग किया जाता है।

 ग्राम सबादा के ग्रामीणों ने इन सभी घोटालों की जांच की मांग करती है।

📹 Source: YouTube / INA EXPRESS

 ग्राम सबादा के जागरूक समाजसेवियों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज  और जनता की उम्मीदें

समाजसेवी तनवीर खान ने  2015 में  ग्राम प्रधान द्वारा पानी की टंकी  निचले स्तर में निर्माण करा रहे थे उस  समय श्री खान जी के नेतृत्व में जिला प्रशासन बांदा से लेकर झांसी मंडल तक शिकायत किया ये पानी की टंकी  ऊंचे स्तर पर होना चाहिए निचले स्तर में होगी तो पूरे गांव में पानी नहीं पहुंचेगा  भविष्य में पानी की  किल्लत होगी प्रधान महोदय अपनी दबंग छवि दिखाते रहे सरकारी नियमों को हवा में उड़ाते रहे

अगर समय से कारवाई हुई होती तो गांव में पेयजल की व्यवस्था बेहतर होती

इस समस्या के शिकायती पत्र, साक्ष्य मौजूद है

अब वक्त आ गया कि ग्राम सबादा के ग्रामीणों को संगठित होकर बदलाव की किरण 6.0 के तहत एक जागरूकता अभियान शुरू किया जाए
उन्होंने कहा  हम गांव में पारदर्शी व्यवस्था चाहते हैं, जहां हर व्यक्ति को उसका अधिकार मिले। जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसकी निष्पक्ष जांच हो।

हालांकि ग्राम प्रधान की दबंगई और राजनीतिक असरो  रसूख के चलते किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हो पाई  जनता की उम्मीदें अब भी जिंदा हैं।
गांव के लोग चाहते हैं कि एक दिन सच्चाई उजागर हो और  बदलाव की किरण 6.0  सच में गांव में उजाला लाए।

 निष्कर्ष  बदलाव की किरण 6.0 क्या कहती है

बदलाव की किरण 6.0 स्पष्ट करती है कि जब तक ईमानदार नेतृत्व नहीं आएगा, तब तक विकास अधूरा रहेगा।
ग्राम सभा सबादा जैसे गांवों में अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाए और सही लोगों को मौका मिले, तो गांव अपने आप बदल सकता है।
यही इस रिपोर्ट का मकसद है  भ्रष्टाचार की अंधेरी गहराइयों में बदलाव की किरण की जगाएं 

निरंतर जारी रहेगा बहुत जल्द बदलाव की किरण 7.0 आएगा

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